चीन का स्पेस स्टेशन तियानगोंग-1 धरती के लिए संकट बन रहा है. बताया जा रहा है कि ये स्पेस स्टेशन अगले कुछ महीनों में धरती से टकरा सकता
है. 2016 में चीन ने पुष्टि की थी कि वो अब स्पेस स्टेशन तियानगोंग-1 पर नियंत्रण नहीं रख सकता है. चीन ने साल 2011 में तियानगोंग स्पेस स्टेशन को अंतरिक्ष में बेजा था.
तियानगोंग साल 2017 के आखिर और 2018 के शुरुआत में धरती से टकरा सकता है. इस स्पेस स्टेशन का वजन 8.5 टन है. बताया जा रहा है कि तियानगोंग बड़े-बड़े टुकरों में टूटकर धरती से टकरा सकता है. ये टुकड़े 100 किलोग्राम तक बढ़े हो सकते हैं. हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं की माने तो तियानगोंग इसी महीने अक्टूबर से लेकर अगले साल अप्रैल तक किसी भी वक्त पृथ्वी से टकरा सकता है. तियानगोंग इस वक्त पृथ्वी से तीन सौ किमी से भी कम ऊंचाई पर आ गया है. तियानगोंग -1 स्पेस स्टेशन की लंबाई 10.4 मीटर है. इसका व्यास 3.35 मीटर है. तियानगोंग-1, तियानगोंग का फ्यूचरिस्टिक वर्जन है. इसे 2011 में चीन के नेशनल स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन ने अंतरिक्ष में भेजा था. यह स्पेस स्टेशन 12 मिटर की है.
बता दें कि चीन 2019 तक अंतरिक्ष में अपना स्पेस स्टेशन शुरू करना चाहता है. इसके लिए उसने 15 सितंबर 2016 में स्पेस में अपना दूसरा स्पेस स्टेशन तियानगोंग भेजा था. इसके अलावा चीन 2022 तक अंतरिक्ष में अपना स्थायी मौजूदगी बनाना चाहता है.
है. 2016 में चीन ने पुष्टि की थी कि वो अब स्पेस स्टेशन तियानगोंग-1 पर नियंत्रण नहीं रख सकता है. चीन ने साल 2011 में तियानगोंग स्पेस स्टेशन को अंतरिक्ष में बेजा था.
तियानगोंग साल 2017 के आखिर और 2018 के शुरुआत में धरती से टकरा सकता है. इस स्पेस स्टेशन का वजन 8.5 टन है. बताया जा रहा है कि तियानगोंग बड़े-बड़े टुकरों में टूटकर धरती से टकरा सकता है. ये टुकड़े 100 किलोग्राम तक बढ़े हो सकते हैं. हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं की माने तो तियानगोंग इसी महीने अक्टूबर से लेकर अगले साल अप्रैल तक किसी भी वक्त पृथ्वी से टकरा सकता है. तियानगोंग इस वक्त पृथ्वी से तीन सौ किमी से भी कम ऊंचाई पर आ गया है. तियानगोंग -1 स्पेस स्टेशन की लंबाई 10.4 मीटर है. इसका व्यास 3.35 मीटर है. तियानगोंग-1, तियानगोंग का फ्यूचरिस्टिक वर्जन है. इसे 2011 में चीन के नेशनल स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन ने अंतरिक्ष में भेजा था. यह स्पेस स्टेशन 12 मिटर की है.
बता दें कि चीन 2019 तक अंतरिक्ष में अपना स्पेस स्टेशन शुरू करना चाहता है. इसके लिए उसने 15 सितंबर 2016 में स्पेस में अपना दूसरा स्पेस स्टेशन तियानगोंग भेजा था. इसके अलावा चीन 2022 तक अंतरिक्ष में अपना स्थायी मौजूदगी बनाना चाहता है.
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